पुलिस तफ्तीश में इस्तेमाल होने वाले उर्दू शब्द और उनके अर्थ

पुलिस की कार्यवाही में सबसे दिलचस्प FIR के अंतिम शब्द होते है जिसने लिखा होता है - अज थाना तहरीर बदसत
पुलिस की कार्यवाही में सबसे दिलचस्प FIR के अंतिम शब्द होते है जिसने लिखा होता है - अज थाना तहरीर बदसत

इंसाफ़ – उर्दू का ये शब्द न्याय के लिए प्रयोग किया जाता है ।

मुंसिफ़  – इस शब्द का अर्थ है न्यायाधीश

कचहरी – अदालत
कभी- कभी आपने सुना होगा कि कचहरी में याचिका दायर की गई है ये “दायर” भी उर्दू का शब्द है । इसी से शब्द बनता है दायरा यानी घेरा , तभी अक्सर हम सुनते है ‘वो शक के दायरे में है’

मुजरिम– ये शब्द खूब सुनने में आता है जिसका अर्थ है अपराधी । यह शब्द जुर्म से निकला है जुर्म का अर्थ है अपराध या गुनाह । दिलचस्प बात यह है कि जुर्माना शब्द भी इसी मूल से निकला है जिसके मानी है अर्थदंड ।

इल्ज़ाम (Allegation)– इस लफ़्ज का अर्थ है आरोप । जैसे कहते है कि उस पर इल्ज़ाम है कि उसने ये जुर्म किया ।

चश्म दीद (Eye Witness)
यह शब्द दो शब्दों से बना है चश्म का अर्थ है आँखें और दीद का अर्थ है देखना । अत: चश्म दीद गवाह उस व्यक्ति को कहते है जिसने वारदात को देखा हो और अदालत के सामने अपनी गवाही दर्ज करवाना चाहता हो । दीद शब्द से आगे दीदार शब्द बना है । दीदार यानी दर्शन ।
हैदर अली का एक शेर है –
“कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया “

वारदात : वारदात का अर्थ है माजरा । मौक़ा-ए-वारदात यानी घटना स्थल । जैसे कहते है कि पुलिस मौक़ा-ए- वारदात पर देर से पहुँची । साथ ही इसे वकूआ या वकुह भी कहा जाता है ।
‘मौक़ा’ शब्द अवसर और स्थान दोनों के लिए प्रयोग होता है जैसे ये भी कहा जाता है कि मुजरिम मौका पाते ही फ़रार हो गया ।

सज़ा-याफ़्ता —उस अपराधी को कहा जाता है जी न्यायप्रणाली द्वारा दंड प्राप्त कर चुका हो । कभी-कभी जब आप थाने से चरित्र प्रमाण पत्र हेतु रपट लिखवाते हो तो पुलिस रिकॉर्ड चेक करके लिखती है कि अदम-सजायाफ्ता पाया गया जिसका अर्थ है कोई सजा नहीं है हुई है तथा चरित्र पाक साफ़ है ।
अदम से सम्बन्धित ही एक शब्द है अदम तामील , जब किसी समन की पालना नहीं हुई हो तो उसे अदम तामील कहा जाता है ।

तफ़तीश (Investigation) – इसका अर्थ है जाँच-पड़ताल या अन्वेषण

मुख़बिर – मुख़बिर भेदी को कहा जाता है मुखबिरी का अर्थ है पुलिस को किसी आपराधिक गतिविधि या अपराधी की गुप्त रूप से सूचना देना । ये दोनों शब्द ‘खबर’ से निकले है । साथ ही सुराग़ का अर्थ है जानकारी ।

फ़रार – फ़रार का अर्थ होता है भागा हुआ जो शख़्स फ़रार हो जाये उसे मफरूर कहते है ।

तहरीर – तहरीर शब्द लिखने के लिये प्रयुक्त होता है ।

ताईद -यह शब्द का अर्थ है पुष्टि करना जैसे पुलिस लिखती है अपने बयान की ताईद करते हुए बतलाया ।

ततीमा बयान – ये अनुपूरक बयान को कहते है जब पुलिस शिकायतकर्ता की FIR के बाद डिटेल स्टेटमेंट रिकॉर्ड करती है ।

ज़िम्नी
पुलिस अधिकारी द्वारा मामले की जाँच की दैनिक रिपोर्ट इसे केस डायरी भी कहते है

तलब-नामा – अर्थात् समन

दरयाफ़्त – पूछताछ

इमरोज़ – आज़

मज़रूब – घायल

असलहा – हथियार

पुलिस की कार्यवाही में सबसे दिलचस्प FIR के अंतिम शब्द होते है जिसने लिखा होता है –
अज थाना तहरीर बदसत –
अज – से
थाना – थाना
तहरीर– लिखना ,विवरण
बदस्त – हाथ से या हाथ में
मौसूलगी – प्राप्ति पर
मजकुरा – उपरलिखित
फ़र्द ब्रामदगी एवं मक़बूज़गी -Seizure Memo
हरूफ-व-हरूफ- शब्दशः
तामील- क्रियान्वन

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