अज्ञात शव की बरामदगी के मामले में जांच अधिकारी द्वारा उठाए जाने वाले कदम

सूचना मिलते ही पुलिस स्टेशन या पुलिस पोस्ट पर एक जनरल डायरी में एंट्री की जाए और तुरंत SHO/SDPO/SP को सूचित किया जाए।
सूचना मिलते ही पुलिस स्टेशन या पुलिस पोस्ट पर एक जनरल डायरी में एंट्री की जाए और तुरंत SHO/SDPO/SP को सूचित किया जाए।
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  1.  सूचना मिलते ही पुलिस स्टेशन या पुलिस पोस्ट पर एक जनरल डायरी में एंट्री की जाए और तुरंत SHO/SDPO/SP को सूचित किया जाए।
  2. 154 सीआरपीसी या 174 सीआरपीसी के प्रारूप में उचित मामला शुरू किया जाना चाहिए, इसमें देरी नहीं की जानी चाहिए
  3. शव पर संदेह के मामले में, सीआरपीसी की धारा 154 के तहत जांच के लिए संबंधित दंड धाराएं जोड़ी जा सकती हैं
  4. अपराध स्थल का दौरा SHO/SDPO/SP द्वारा किया जाएगा।
  5. शव की अलग-अलग एंगल से फोटो खींची जाएगी, यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि तस्वीरों में चेहरा और पहचान के निशान स्पष्ट रूप से कैद हों। बेहतर गुणवत्ता वाले डिजिटल कैमरे से ली गई तस्वीरें उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए
  6. मौत का कारण, मौत के बाद की अवधि, उम्र आदि का पता लगाने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा और डीएनए प्रयोजनों के लिए मृतक के अंग को संरक्षित करने के लिए डॉक्टर/मेडिको विशेषज्ञ की रिपोर्ट का अनुरोध किया जाएगा।
  7. प्रासंगिक फॉर्म सभी प्रासंगिक जानकारी के साथ तुरंत भरे जाने चाहिए
  8. शव एवं सामान मिलने के स्थान का साइट प्लान तैयार किया जाये।
  9. फिंगर प्रिंट ब्योरो के रिकॉर्ड से मृतक की पहचान सुनिश्चित करने के लिए मृतक की सर्च स्लिप तैयार कर फिंगर प्रिंट ब्यूरो को भेजी जाएगी।
  10. यदि सड़न के कारण त्वचा सिकुड़ी हुई या झुर्रीदार हो तो भी खोज पर्ची तैयार की जानी चाहिए और डॉक्टर से त्वचा को हटाने का अनुरोध किया जाना चाहिए। सभी 10 अंक फिंगर प्रिंट ब्यूरो को भेजे जाने चाहिए।
  11. अज्ञात शव को कम से कम 72 घंटे तक शवगृह में सुरक्षित रखा जायेगा तथा उसकी पहचान कराने का पूरा प्रयास किया जायेगा। इन 72 घंटों में शव परीक्षण (Post Mortem) किया जा सकता है, इसमें कोई रोक नहीं है। (दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला)
  12. वायरलेस संदेश/ईमेल भारत के सभी SHOS और SSP को फ्लैश किया जाएगा
  13. अज्ञात शव बरामदगी स्थल पर इस संबंध में पूछताछ की जायेगी कि किन परिस्थितियों में शव बरामद हुआ.
  14. मृतक की तस्वीर के साथ ह्यू एंड क्राई नोटिस वितरित किए जाएंगे।
  15. इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। एससीआरबी और एनसीआरबी को भी सूचित किया जाएगा।
  16. मृतकों की पहचान कराने में मदद करने वाले को उचित इनाम की घोषणा योग्य मामलों में निकाय घोषित किया जाना चाहिए।
  17. मृतक के शरीर से मिले कपड़े, आभूषण व अन्य सामान सुरक्षित रखा जाएगा। कोई जन्म चिन्ह, दाग, टैटू का निशान, कपड़े पर धोबी/दर्जी का निशान, शरीर पर विकृति आदि। स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाएगा.
  18. शव और आसपास पाए गए सभी सामान साक्ष्य के तौर पर कब्जे में ले लिए जाएंगे
  19. फांसी (Hanging)के मामलों में, लटकने के बिंदु का तरीका और ऊंचाई स्पष्ट रूप से दर्ज की जाएगी।
  20. रस्सी/कपड़े आदि की भार वहन क्षमता पर शव-परीक्षा चिकित्सक की राय ले जानी चाहिए। इसके अलावा शव-परीक्षा सर्जन को संयुक्ताक्षर चिह्न और प्रयुक्त संयुक्ताक्षर पर राय देने के लिए कहा जाना चाहिए।
  21. डूबने (Drowning)के मामलों में, पानी की गहराई और शरीर से चिपके किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति का उल्लेख किया जाएगा। ऑटोप्सी सर्जन की राय ली जानी चाहिए कि क्या डूबना, मजबूरी, दुर्घटनावश या आत्महत्या है।
  22. विषाक्तता (Poisoning)के मामलों में, कंटेनर की तलाश की जाएगी। वमनित पदार्थ, मल, नाखून, बाल आदि। इसे भी संरक्षित कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा।
  23. जिला गुमशुदा व्यक्ति इकाई (डीएमपीयू)/लापता व्यक्ति दस्ता (एमपीएस) को यह जांचने के लिए सूचित किया जाएगा कि क्या समान विवरण वाला कोई व्यक्ति किसी अन्य पुलिस स्टेशन से लापता है। यदि हां, तो उसके रिश्तेदारों/परिचितों को सूचित किया जाना चाहिए।
  24. अज्ञात शवों को डॉक्टर द्वारा जांच के लिए निकटतम अस्पताल में ले जाया जाएगा और डॉक्टर द्वारा व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद ही उसे मुर्दाघर में स्थानांतरित किया जाएगा। हालाँकि, क्षत-विक्षत शव की बरामदगी के मामले में इसकी आवश्यकता नहीं होगी।
  25. यदि शरीर पर चोटें हैं, तो शव-परीक्षण सर्जन से निम्नलिखित पर राय देने का अनुरोध किया जाएगा:-

    क) चोटों की प्रकृति अर्थात  मृत्यु पूर्व या पोस्टमार्टम और क्या मृत्यु का कारण बनने के लिए पर्याप्त है।

     

     ख) क्या चोटें मानवघातक, आत्मघाती या आकस्मिक हैं।

     

      ग) क्या चोटें स्वयं लगी हैं या अन्यथा।

     

     घ) जांच में आवश्यकता के अनुसार अन्य प्रश्न भी जोड़े जा सकते हैं

  26. शव परीक्षण रिपोर्ट (Postmortem Report ) और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, SP, SHO और I.O. द्वारा जांच करनी चाहिए कि क्या यह हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना या प्राकृतिक मौत का मामला है।
  27. यदि यह संज्ञेय अपराध (Cognizable offence)का मामला है, तो तुरंत कानून की उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए और जांच की जानी चाहिए।
  28. यदि मृतक की पहचान हो जाती है, तो मृत्यु के संभावित कारणों का पता लगाने के लिए उसके रिश्तेदारों और परिचितों से संपर्क किया जाएगा।
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