Manorma vs State of UP
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
दिनांक 12.10.23
उद्धरण: 2023: एएचसी: 197043
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत नए बयान देने के लिए बार-बार (तीसरी बार) अनुरोध करने पर एक वादी पर 20,000 का जुर्माना लगाया।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने एफ.आई.आर. आईपीसी की धारा 323, 506, 354 (B) 3(1) एससी/एसटी दर्ज कराई थी याचिकाकर्आता का आरोप था कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई, उसे निर्वस्त्र किया गया और उसका मानसिक, शारीरिक और शारीरिक और आर्थिक शोषण किया गया
कोर्ट ने कहा कि हालांकि धारा 164 के तहत नया बयान दर्ज करने के लिए आवेदन जमा करने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन ऐसे आवेदन बिना किसी ठोस कारण के कई बार दायर नहीं किए जा सकते।
हालांकि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान एक से अधिक बार दर्ज किया जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पीड़ित या अन्वेषण अधिकारी बिना किसी ठोस कारण के कई बार बयान दर्ज करने के लिए ऐसे आवेदन दे सकते हैं।” .
ऐसा करने से ऐसे बयानों की पवित्रता नष्ट हो जाएगी और इस प्रावधान का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कुछ मामलों में जहां कोई नया तथ्य सामने आता है या पहले के बयान को विस्तृत करने के लिए बयान को दोबारा दर्ज किया जा सकता है।
हालाँकि, बयानों की इस तरह से दोबारा रिकॉर्डिंग नियमित नहीं हो सकती ।
अत: पुलिस अधिकारीयों के लिए माननीय उच्च न्यायालय का यह फैसला एक मार्गदर्शन का काम करेगा तथा धारा 164 अपराधिक प्रक्रिया सहिंता के मामलों की जटिलता तथा उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा |