प्रकाश निशाद बनाम महाराष्ट्र राज्य दिनांक: 19 मई, 2023
हाल ही में एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने और उसकी हत्या करने के आरोप में एक दोषी को दी गई मौत की सजा को रद्द करते हुए कहा गया कि नमूने एकत्र किए जाने पर उन्हें बिना किसी देरी के प्रयोगशाला में भेजा जाएगा ताकि संदूषण की संभावना और सहवर्ती संभावना कम हो सके। मूल्य को खारिज किया जा सकता है।
इसमें आगे कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 53ए का अनुपालन किया जाएगा और एकत्र किए गए नमूनों की ‘हिरासत की श्रृंखला’ बनाए रखी जाएगी।
सीआरपीसी की धारा 53ए के अनुसार :
- जब किसी व्यक्ति को बलात्संग (Rape) या बलात्संग का प्रयत्न (Attempt to commit Rape) करने का अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और यह विश्वास करने के उचित आधार हैं कि उस व्यक्ति की चिकित्सा परीक्षा से उसके अपराध करने के बारे में साक्ष्य प्राप्त होगा तो सरकार द्वारा या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल में रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा-व्यवसायी के लिए और यदि रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा-व्यवसायी उपलब्ध नहीं है तो अपराध स्थल के 16 किलोमीटर की परिधि के भीतर , पुलिस अधिकारी के निवेदन पर, बशर्ते पुलिस अधिकारी उपनिरीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो, किसी अन्य रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के लिए, तथा सद्धावपूर्वक उसकी सहायता के लिए तथा उसके निदेश के अधीन कार्य कर रहे किसी व्यक्ति के लिए, ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति की ऐसी परीक्षा करना और उस प्रयोजन के लिए उतनी शक्ति का प्रयोग करना जितनी युक्तियुक्त रूप से आवश्यक हो, विधिपूर्ण होगा।
- ऐसी परीक्षा करने वाला रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा-व्यवसायी ऐसे व्यक्ति की बिना विलंब के परीक्षा करेगा और उसकी परीक्षा की एक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसमें निम्नलिखित विशिष्टियां दी जाएंगी, अर्थात् :
- अभियुक्त और उस व्यक्ति का, जो उसे लाया है, नाम और पता;
- अभियुक्त की आयु :
- अभियुक्त के शरीर पर क्षति के निशान, यदि कोई हों;
- डी.एन.ए. प्रोफाइल करने के लिए अभियुक्त के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन ; और
- उचित व्यौरे सहित, अन्य तात्विक (materials particulars) विशिष्टियां।
- रिपोर्ट में संक्षेप में वे कारण अधिकथित किए जाएंगे, जिनसे प्रत्येक निष्कर्ष निकाला गया है।
- परीक्षा प्रारंभ और समाप्ति करने का सही समय भी रिपोर्ट में अंकित किया जाएगा।
- रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा-व्यवसायी, बिना विलंब के अन्वेषण अधिकारी को रिपोर्ट भेजेगा, जो उसे धारा 173 में निर्दिष्ट मजिस्ट्रेट को उस धारा की उपधारा (5) के खंड (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों के भागरूप में भेजेगा।
न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा:
“वर्तमान मामले में, नमूने भेजने में देरी अस्पष्ट (unexplained) है और इसलिए, संदूषण की संभावना (possibility of contamination) और मूल्य में कमी की सहवर्ती संभावना (possibility of concomitant prospect of diminishment ) को उचित रूप से खारिज नहीं किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान की आवश्यकता है कि एकत्र किए गए नमूने जल्द से जल्द संबंधित प्रयोगशाला में भेजे जाएं,
अदालत ने कहा कि कथित अपराध की जांच में भारी चूक हुई थी और अपीलकर्ता की मेडिकल जांच से अपराध को स्पष्ट तौर पर घटित हुआ नहीं कहा जा सकता |
“जैसा कि अब तक देखा गया है, इस बात की कोई स्पष्टता नहीं है कि अपीलकर्ता के नमूने किसने लिए।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार
“Guidelines for collection, storage and transportation of Crime Scene DNA samples For Investigating Officers- Central Forensic Science Laboratory , Directorate Of Forensic Sciences Services , Ministry Of Home Affairs Govt. of India” which in particular reference to blood and semen, irrespective of its form, i.e. liquid or dry (crust/stain or spatter) records the sample so taken “Must be submitted in the laboratory without any delay.
यहाँ देखें :
Guidelines for Forensic Medical Examination in Sexual Assault Cases